Friday, October 28, 2011

एक पीड़ा थी तुम्हारी ... गीता पंडित ,


...
...



एक पीड़ा
थी तुम्हारी ,
और
संग तन्हाईयाँ थी,
उम्र की
नैया में अब तो
नीर
भर-भर आ रहा है
मैं ना
भूली हूँ तुम्हें ,
और ना भूलुंगी कभी पर
याद का
पाखी ये देखो ,
आज झर-झर आ रहा है ||



गीता पंडित


( भाई दूज पर विशेष तुम्हारे लियें )

1 comment:

sushila said...

"याद का ये पाखी
देखो झर-झर आ रहा है"

करूण रूदन का भाव जगाती बेहतरीन रचना !