एक पीड़ा थी तुम्हारी ... गीता पंडित ,
...
...
एक पीड़ा
थी तुम्हारी ,
और
संग तन्हाईयाँ थी,
उम्र की
नैया में अब तो
नीर
भर-भर आ रहा है
मैं ना
भूली हूँ तुम्हें ,
और ना भूलुंगी कभी पर
याद का
पाखी ये देखो ,
आज झर-झर आ रहा है ||
गीता पंडित
( भाई दूज पर विशेष तुम्हारे लियें )
1 comment:
"याद का ये पाखी
देखो झर-झर आ रहा है"
करूण रूदन का भाव जगाती बेहतरीन रचना !
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