Friday, July 1, 2011

जाने क्यूँ.... एक कविता ...गीता पंडित .

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तुम से ही चहकी मन चिड़िया
कलरव था मन की डाली,
जाने क्यूँ - कर काट ले गया,
बरगद को पल का माली,

कितना खाली - खाली मन है,
चुप्पी है चहूँ और सजी,
मीत ! तुम्हीं से मन की पायल,
मेरी थी दिन - रैन बजी.

अभी प्रतीक्षित - श्वासें - मेरी,
हैं ड्योढ़ी पर नयन लगे.
आकर देखो मन के द्वारे,
प्रेम के पाखी सभी जगे | |

..गीता पंडित