Wednesday, November 3, 2010

आ चलें बन दीप....गीता पंडित

आ चलें बन
दीप
दीवाली मनायेंगे ।


मन में ना
आये व्यथा,
लिखें उजाले
की कथा,

एक दिन तुम
देखना मन मुस्करायेंगे |

नयन जिनमें
तम भरा हो,
पग वो जिसमे
कोहरा हो,

आस की लाकर
किरण उनको सजायेंगे |

आ सहेजें
सबको आओ
सुर से सुर
अपना मिलाओ,

गुनगुना कर
एकता के गीत गायेंगे ।

नयन से आ
द्वेष झरता
नीर मन का
आ सहमता,
पीर की होली जलाकर मन रंगायेंगे ।


एक दिन तुम देखना
मन मुस्करायेंगे ||

Tuesday, November 2, 2010

कुछ मन की -----





जीवन की सुंदर नगरी से
सपने कुछ चुन लेना ,
कुछ मन की कह लेना मेरे
मन की कुछ सुन लेना |


एक झुनझुना मनुज है केवल
स्वयं नहीं बज पाये,
अंतर की घाटी के उपवन
मुखरित हो कब आये,


अथक चले चलना है मीते !
मन सुहास बुन लेना |
सपने कुछ चुन लेना |


हिचकोले लेकर चलती है
पल पल की नैय्या,
फिर भी जाने कौन थामता
आकर के बैंय्या,


नेह आस्था के बंधन फिर
अंतर में गुन लेना |
सपने कुछ चुन लेना ||


गीता पंडित

Monday, March 1, 2010

ऐसी आये अब के होली...

....
.....


ऐसी आये अब के होली ॥


मन में भरे रंग की झोली,
नेह की भरभर आये टोली,
रंग प्रेम का हर एक बरसे,
बँध जाये फिर मन पर मौली ।


प्रेम भरी हो सब की बोली ।
ऐसी आये अब के होली ॥


तुम ने कैसे रंग लगाये,
मन पलाश से होकर आये,
ढूँढ रही फिर वही अल्पना,
जो अंतर में बनकर आये ।


चूनर पर हो वही रंगोली ।
ऐसी आये अब के होली ॥


नयनों में फिर झूले सपने,
बिन साजन के कैसे अपने,
फिर से आये पवन बसंती,
लगे श्वास को मन से जपने।


उपवन हो हर मन की खोली ।
ऐसी आये अब के होली ॥


जा बसंत !प्रिय को ले आ रे,
मधुमास मेरे अंग खिला रे,
चूनर धानी रंग के लाऊँ,
पैंजनिया को बोल पिला र ।


आ जाये फागुन की डोली ।
ऐसी आये अब के होली ॥


गीता पंडित (शमा)

Monday, February 1, 2010

बन सकी क्या प्रीत मोती....

......
.......


बन सकी क्या प्रीत मोती
मन की सीपी में जङी ।


नयन की है देह कैसी
कैसे सागर भर गया,
पल की काया को भिगोता
मन का झरना छल गया,


रह गयीं हैं सिलवटें बस
पल की चादर पर पङी ।


मन की कोमल पांखुरी क्यूँ
ओस में भीगी रहे,
और अंतर में मचलती
मन-कली झूझी रहे,


रह क्यूँ जाती ड़ाल सूखी
मन के आँगन में खङी ।


अनकहे पल रैन की स्याही में
सन कर आ रहे,
शब्दों में भरकर ना जाने
कैसे क्या-क्या गा रहे,


ढूँढते सुर बांसुरी जो
प्रीत में जाकर अङी,


गीता पंडित