Friday, December 25, 2015

आओगे ना ... गीता पंडित

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आओगे ना ____
क्योंकि मैं 
अब शब्दों में रहती हूँ 
इसलिए  जब मैं नहीं होऊँगी
तब भी शब्द होंगे
जो दोहराएंगे मेरा होना
मेरे ना होने पर भी
 
शब्द जो
अजर हैं अमर हैं
अर्थवेत्ता हैं
सुनो इन्हीं अर्थों में
छिपा होगा मेरे होने का रहस्य भी
 
अगर कभी मिलना  हो मुझसे
तो चले आना मेरे शब्दों में
मैं वहीं हंसती रोती मुस्कराती हुई
आपसे मिलूंगी
 
आओगे ना !!!!!
गीता पंडित
25/12/15