भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं,
गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
Sunday, October 23, 2011
नवगीत की पाठशाला: २७. उत्सव के ये मौसम
नवगीत की पाठशाला: २७. उत्सव के ये मौसम: उत्सव के ये मौसम क्या क्या रंग दिखाते आये, तन-मन यादों के मेले में फिर भरमाते आए लाल ओढनी ओढ़े मनवा फिर से हुआ मलंग, अंतर्मन की ड्योढ़ी...
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