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ड्योढी - ड्योढी
दीप जलें
घर-घर हो उजयारी,
मेरे दीपक
ज्योति जलाओ
अंतर्मन में न्यारी |
आज महल के
संग-संग देखो
कुटिया में भी दीप जलें,
मन की लहरी
आये झूमती
सबके मन में गीत चलें,
आज ना भीगें
नयन किसी के
नेह सुधा सब पर वारी |
(अंश मेरे नवगीत के )
गीता पंडित
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