भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं,
गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
Friday, October 7, 2011
मेरी राह देखती होगी... गीता पंडित
...
....
कहीं सुहानी सुबह एक तो ,मेरी राह देखती होगी
इसीलियें तो पल के पन्नों, पर लिख लायी प्रीत नयी,
तुम भी गाओ मेरे संग में जलतरंग मन के बज उठें
धरती क्या फिर अम्बर पर भी दिख पायेगी प्रीत नयी||
सुन्दर पंक्तियाँ है. मैं और पंक्तियों से गुजर रहा हूँ इन दिनों. आशा है आप मेरे कुछ दिनों के मौन पलों को क्षमा करेंगी. मुझे पूरी आशा है कि इन मौन पलों में जिस स्पंदन का साक्षात्कार मैंने किया है और अभी कर रहा हूँ ('मौन पलों का स्पंदन' द्वारा), वह जल्दी ही सबके सामने होगा.
Ashok Aggarwal Suprabhat didi. Apki prem pustak ke panno se prem pal yu hi chhalkte rahe , baraste rahe , saraste rahe . Aur amber se antas tak aisi ibaarat likhi jaye jo shashwat ho , amar ho .
13 comments:
तुम भी गाओ मेरे सँग में
जलतरंग मन के बज उठें ...
मन की कोमल भावनाओं का
दस्तक-दर -दस्तक
स्वागत करते हुए प्रभावशाली काव्य !
अभिवादन .
कोई आँख ना नम हो पाये
चलो स्वप्न उसको दे जाएँ |
..गीता पं.
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Santosh Kumar Mishra
फिर अम्बर पर भी दिख पायेगी प्रीत नयी
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Sayeed Ayub
सुन्दर पंक्तियाँ है. मैं और पंक्तियों से गुजर रहा हूँ इन दिनों. आशा है आप मेरे कुछ दिनों के मौन पलों को क्षमा करेंगी. मुझे पूरी आशा है कि इन मौन पलों में जिस स्पंदन का साक्षात्कार मैंने किया है और अभी कर रहा हूँ ('मौन पलों का स्पंदन' द्वारा), वह जल्दी ही सबके सामने होगा.
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Ashok Aggarwal
Suprabhat didi. Apki prem pustak ke panno se prem pal yu hi chhalkte rahe , baraste rahe , saraste rahe . Aur amber se antas tak aisi ibaarat likhi jaye jo shashwat ho , amar ho .
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श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
निर्झर और निरंतर हरपल भावों की यह सरिता .. सुमधुर शब्दों की रचना शब्दों की रचना से वाचित हरपल गीता
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Raj Shree
mann tarangit ho utha
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Raj Shree
mann tarangit ho utha
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Gita Dev
sunde
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चेतन रामकिशन प्रीत
का नया रंग, इन्द्रधनुष का रंग लेकर आएगा! अनुपम
मैं समझती हूँ आपकी व्यस्तता इसलियें नाराज़गी की तो कोई बात हो ही नहीं सकती आप भी यात्रा पर थे मैं भी दुबई घूम आयी...
हाँ प्रतीक्षा है बेसब्री से कि आपके मन में स्पंदन कैसा रहा इस : मौन पलों का सपंदन " नामक मेरी गीत नवगीत पुस्तक का..:)) Sayeed Ayub ji .
सस्नेह
गीता पंडित
आपने एक बात नोट की कि मैंने प्रस्तावना किसी से भी नहीं लिखवाई अपितु स्वयम जो स्त्री के विषय में मैं सोचती हूँ वो लिखा है ......
"अंतस से" मेरे मन के बहुत करीब है ..... आप उसे भी पढकर देखें ...Sayeed भाई...
शुभ कामनाएं
गीता पंडित
आप सभी मित्रों के स्नेह के सम्मुख नतमस्तक हूँ... अशेष मंगलकामनाएं ...
सस्नेहगीता पंडित
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