भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं, गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
Saturday, October 15, 2011
एक तुम्हारे लियें...... गीता पंडित ..
..
...
वो रही यूँ ही मचलती
कौन मेरे संग गाती |
शब्द वो मुझसे चुराती,
भाव सारे बीन लाती
चाँद के ठंडे तवे पर
सेक रोटी दीन पाती,
चांदनी से छीनकर वो
चांदनी को गुनगुनाती
रैन के सारे तमस को
पी के सुबह मुस्कराती
कौन मेरे संग गाती ||
....
सुर सजें
कुछ इस तरह
बस
तू ही तू एक साथ हो,
प्रेम की
हर एक गली में
मन
से मन की बात हो,
छाँव हो
और धूप हो,
पथ
साथ हों ना साथ हों,
कामना
अब तो यही ,
हाथों
में तेरा हाथ हो ||
....
तुम्हें सुनना,
तुम्हें गुनना,
तुम्हारी बात बस करना
ना जाने क्यूँ
यही बस काम
मन को आज भी भाता
.....
पवन तुम्हारी
बातें बोले
दिनकर अंखियाँ
तुमसे खोले
तुमसे ही तो
मेरे मन की
मैना
मेरे अंतर डोले
आज उडूं मैं
चिडया बनकर
तुम भी
मेरे साथ में आओ
हौले-हौले
मन सितार पर
प्रेम भरी
एक सरगम गाओ ||
....
गीता पंडित
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13 comments:
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Santosh Kumar Mishra
शब्द वो मुझसे चुराती,
भाव सारे बीन लाती
चाँद के ठंडे तवे पर
सेक रोटी दीन पाती...............bahut sunder Gita jee...
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Vandana Gupta
bahut sundar bhaav
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Maya Mrig
सुबह लेकर आती है दिन की चिट्ठी------बांचता है मन और याद उतरती है चांदनी बनकर---
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Naveen Mishra
आप के भावों की परिधि छू कर शब्द सरगम हुये हैँ.
गीता जी! अच्छी रचना है.
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Meenakshi Joshi
beautiful composition gita di ♥.
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Nirmal Paneri
चांदनी से छीन कर चांदनी को गुनगुनाती ...रेन के सारे तमस को पी कर .....वाह जी वाह गीता जी बहुत सुंदरा भाव और आत्मिक आवाज को उकेरा है आपने .....बहुत सुंदर रचना लगी मुझे तो बाकि भी अच्छी है ...पर ये कही छु गयी !!!!शुभकामनाये आज के दिन की !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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Kavi Arjun Alhad
वाह वाह..
थी चाहत उसकी
मजबूरी
था इन्तजार तकदीर मेरी
दिल की दुनिया का
शाह बना
कुछ यादेँ थी जागीर मेरी
करवा चौथ कहूँ
या रोज़ा
मेरी साँसे थी
मन्नत उसकी
चाँद चमकता
देखा उसने
आँखो मेँ थी तस्वीर मेरी
THANK YOU GEETA DIDI..
__/\LH@D.
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Chandrasekhar Nair
दीदी ऐसा सृजन कर देती हैं आप कि कमेन्ट करना छोड़ गा देने का मन हो आता है बस ..
'कौन मेरे संग गाती ..'
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मै कुंदन
shaandaar
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Saroj Singh
ohh!!beautiful Gita ji ....dil ke gahre baith gaiye aapki panktiyan .
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Surendra Singh Bhadauria
कामना अब तो यही , हाथों में तेरा हाथ हो---क्या वात
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Ashish Pandey
यूँ ही साथ साथ चलें सदा
कभी खत्म आपका सफ़र न हो ...
सुन्दर गीत.
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