Tuesday, December 27, 2011

मेरी लेखनी से .... .दिसंबर के फेसबुक पर स्टेटस......गीता पंडित

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ज़िन्दगी ___

आपकी पायल के घुँघरू सुन ना पाये हम कभी 

है प्रतीक्षा मेरे घर पर तुम कभी तो आओगी 

झीनी सी इस चूनरी को, है सम्भाला यत्न से 

एक दिन मैं कहती तुमसे साथ तुम भी गाओगी ..
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उम्रभर लिखता रहा जो खत वो वापस आ गये 

ज़िंदगी ! तेरा पता बदला था कब अनजान हूँ 

मैं यही था मैं यहीं हूँ, पर ना जाने क्या हुआ 

जिंदगी ! तेरे ही घर में, आज मैं महमान हूँ | 

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जीवन क़ागज़ की एक पुड़िया


उस पुड़िया में प्रेम भरे कण 


वही हरेक जन को मिल जायें 


बोल और क्या चाहे रे मन ! ..
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ओस की बूँदें पड़ीं जो धरती के तपते तवे पर 


धूआँ ऐसा फैला देखो, हर दिशा कुहरा गयी ....
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कभी-कभी पीड़ा की पायल ऐसे सुर में बज उठती है


सारे स्वर मध्यम हो जाते एक अकेला स्वर है भाता 


मीरा के एकतारे पर तब गुनगुन करके मनवा गाता


कौन सुनहरी चादर ओढ़े मन को आकर है सहलाता ...


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"रख देना दो शब्द अगर अधर मूक हो जाएँ तो, 


हर मन के द्वारे जाकर सुमन एक तो रख देना "
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आ अधरों के नाम हँसी की, एक वसीयत कर जाएँ,


अगले पल का नहीं पता है जाने क्या गुल खिल जाएँ |
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अंगडाई लेती भोर 

हौले से निकालती है 

अपने पर्स से 

किरणों से बना टेडी बीयर

और रख आती है सुबह के द्वार पर

तमस भरा आकाश

खिलखिला पड़ता है

स्वप्निल हो आती हैं अवनि की पलकें

जग के आँगन में बज उठते हैं जल तरंग

नया उल्लास,

नयी उमंग हिलोरें लेती है

और आशा की सुकुमारी

सात घोड़ों पर सवार हो

निकल पड़ती हैं दिग - दिगंत के भ्रमण पर ...

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सर्दी का मारा है सूरज 

कम्बल ओढ़े पड़ा हुआ है

ऊषा रानी इसीलियें तो

कोटर में अपने चुप हैं ..
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लीप पोतकर आँगन देखो 

द्वारे पर रखी ढिबरी है

पथ ना बिसरा जाये मीत !.

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घुटी - घुटी सी श्वासों मे आस किरण है शेष अभी 

उठ चलना चल मीलों है थक ना जाना देख अभी .

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सुबह के आँगन में किरणों की अगवानी करता मन,


पवन झुलाये झूले जिनको ऐसे हर्षित हों तन - मन .
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पत्ता टूट गया टहनी से, तरुवर की आँखें हैं नम 


फिर से जीवन दोहराएगा जीवन का एक ये ही क्रम ..
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पवन तुम्हारी बातें बोले 


दिनकर अंखियाँ तुमसे खोले 


तुमसे ही तो मेरे मन की 


मैना मेरे अंतर्मन डोले 


आज उडूं मैं चिडिया बनकर 


तुम भी मेरे साथ में आओ

हौले-हौले मन सितार पर

प्रेम भरी एक सरगम गाओ 
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नेह नयन में मूक रहे क्यूँ 


प्यास ये कैसी है ..
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गीता पंडित .



















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