भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं, गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
फिर भी इस जीवन की खातिर साँसों को जपना होगा और उस जाप में जीवन को शून्य बनाना होगा बहुत सुन्दर गीता जी
सच है......उम्र कहने को हर रोज बढ़ी जाए है,जिंदगी साल में दो चार घड़ी आए है।.....राजेश चड्ढा
गीता जी,वाकई अत्यंत सुन्दर विचार.इस जीवन की खातिर सांसों को तो जपना ही होगा.
बहुत ही कम शब्दों और सुरीले अंदाज मैं जीवन सार - अति सुंदर - हार्दिक बधाई
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फिर भी इस जीवन की खातिर साँसों को जपना होगा और उस जाप में जीवन को शून्य बनाना होगा
बहुत सुन्दर गीता जी
सच है......
उम्र कहने को हर रोज बढ़ी जाए है,
जिंदगी साल में दो चार घड़ी आए है।
.....राजेश चड्ढा
गीता जी,वाकई अत्यंत सुन्दर विचार.इस जीवन की खातिर सांसों को तो जपना ही होगा.
बहुत ही कम शब्दों और सुरीले अंदाज मैं जीवन सार - अति सुंदर - हार्दिक बधाई
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