Thursday, May 26, 2011

कौन कहाँ अपना होगा ...


"जीवन ही जब सपना है तो, सपना तो सपना होगा ,

कौन घाट पर उतरेगा अब, कौन कहाँ अपना होगा ,

सबकी ढपली अपनी - अपनी राग सभी के हैं अपने ,

फिर भी इस जीवन की ख़ातिर साँसों को जपना होगा||"



.गीता पंडित.

4 comments:

सुनीता said...

फिर भी इस जीवन की खातिर साँसों को जपना होगा और उस जाप में जीवन को शून्य बनाना होगा

बहुत सुन्दर गीता जी

राजेश चड्ढ़ा said...

सच है......
उम्र कहने को हर रोज बढ़ी जाए है,
जिंदगी साल में दो चार घड़ी आए है।
.....राजेश चड्ढा

Rajiv said...

गीता जी,वाकई अत्यंत सुन्दर विचार.इस जीवन की खातिर सांसों को तो जपना ही होगा.

Anonymous said...

बहुत ही कम शब्दों और सुरीले अंदाज मैं जीवन सार - अति सुंदर - हार्दिक बधाई