भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं,
गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
Friday, May 20, 2011
शब्द - दीप
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शब्द क्या ये दीप हैं जो रैन में हमने जलाये.
देख पूनम के निखर के बैन सारे फिर से आये
खिल गयी है चांदनी, तारे फिर से मुस्कराये,
भोर की देकर दुहाई साथ मेरे फिर से गाये | |
2 comments:
शब्द है जीवन की लय, शब्द जीवन गान हे,
शब्द में आकर भरो माँ!शब्द मन का मान है ||
.गीता पंडित.
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