Thursday, June 9, 2011

तुम थे रंग , कैनवस कूची

वो सब सजे हुए ऐसे ही,

जब भी रंग भरुंगी तुम ही

रंग बनकर के आ जाओगे ,

चित्र-चित्र में आकर तुम ही

रंग बनकर के मुस्काओगे |



..नमन हुसैन साहब को ..

,, गीता पंडित..

No comments: