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नाम
तुम्हारा आते ही माँ !
मन में बदली छा जाती है |
नेह पत्र पर
लिखे जो तुमने
भाव अभी हैं आज अनूठे
बेल लगी है
संस्कार की
सजा रही जो मन पर बूटे,
बूटे -
बूटे नेह तुम्हारा
मन की छजली भा जाती है |
देह कहीं भी
रहे मगर माँ
मन तो पास तुम्हारे रहता
शैशव में जो
रूई धुनी थी
कात उसे संग-संग में बहता
शब्दों
में आकर हौले से
मन की सजली गा जाती है |
गीता पंडित
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नाम
तुम्हारा आते ही माँ !
मन में बदली छा जाती है |
नेह पत्र पर
लिखे जो तुमने
भाव अभी हैं आज अनूठे
बेल लगी है
संस्कार की
सजा रही जो मन पर बूटे,
बूटे -
बूटे नेह तुम्हारा
मन की छजली भा जाती है |
देह कहीं भी
रहे मगर माँ
मन तो पास तुम्हारे रहता
शैशव में जो
रूई धुनी थी
कात उसे संग-संग में बहता
शब्दों
में आकर हौले से
मन की सजली गा जाती है |
गीता पंडित
14 comments:
" मैं क्या हूँ माँ रूप तुम्हारा ही मेरे तन में सजता है
रंगों की फिर बना अल्पना मन हर पल मेरा रंगता है
नमन तुम्हें माँ " ....गीता पंडित
namaskar geeta ji
bahut achi bhavavyakti hai maa kavita mei lekin ek dm se aapne lyatmkta tod di to thodi c akhtri hai, rythm break hota hai ek jgah, bhav nahut prabal hain
Bahut sundar bhav prakat hue hai... Badhai detaa hu DIL se........Maan ko naman...
आप मुझे बताएं वीरेन .....कहाँ पर....
ये पूरी छंद में है....
नव-गीत है....
मुझे खुशी होगी अगर आप कहेंगे...और कुछ सीखने को भी मिलेगा आपसे...
आभार...
सस्नेह
गीता
नमन आपको भी...
आप इतनी सुन्दर और भावपूर्ण कवितायेँ लिखती हैं...
उत्कॄष्ट कोटि की रचना ।
माँ को समर्पित सुन्दर नवगीत ! मोहक शब्द-संयोजन ! बधाई !
awsum......i can see how much u r missing her..belive me..she loves u very much...n misses u da same....very emotional.....i m touched...
I am thankful to you that you understand my affection to her.
I don,t know what happend
but after my marriage
I lost my mother.
I miss u MOM. LUV U ..
माँ की ही तरह सुन्दर है यह माँ की रचना... बधाई...
माँ की ही तरह सुन्दर है यह माँ की रचना... बधाई...
"छवि बसी है नयन में मेरे " माँ " छाया बन लहराती है
तपती धूप में बरगद बनकर साथ मेरे वो आ जाती है
जाने क्या फिर कहती सुनती जाने क्या संग में गुनती है
हाँ ये तय है मन में मेरे आस किरण बुनकर जाती है | " ...गीता पंडित ..
मन से आभारी हूँ
आप सभी मित्रों के स्नेह के लियें ...
शुभ कामनाएँ
गीता पंडित
माँ को जब भी सोचा मैंने
आँखों में भर आया पानी,
माँ तुम मेरा जीवन संचय
मन की मेरी अमिट कहानी |
.गीता पंडित.
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