Thursday, August 28, 2008

छोटी कविताएँ....

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कौन से थे वो बिंदु जिसमें,
उलझ कर मन रह गया,
एक पिपासित चातक बनकर,
शब्दो मे क्यूँ बह गया,

शब्द - अर्थ में खोकर अंतर,
अब कैसा पगलाया सा,
जाने क्या कहना चाहे,
ना जाने क्या अर्थ कह गया||
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शब्दों के जब अर्थ व्यर्थ हों,
और मौन हो जायें अनसुने,
पल पल में पल की ही काया,
अपने में हो जाये शत-गुने,


सम्मुख आने वाले पथ जब
पथ को पथ में ही खो दें,
धीरे से फिर व्यथा वेदना
अश्रू अंतर्मन में बो दे


गीता पंडित (शमा)

13 comments:

रश्मि प्रभा... said...

इन छोटी कविताओं के अर्थ गहन हैं,
मन के मानसरोवर में ये बह चले हैं
बहुत सुन्दर.......

वेद प्रकाश सिंह said...

excellent mam........कविताये तो शब्दों से बनती है,हर शब्द का अपना-अपना महत्व है!कविताये कभी छोटी नहीं होती है,यह अपने अन्दर एक बहुत ही बड़ी बात छुपाये रहती है...यह उस कविता के पढने वाले पर निर्भर करता है की वो इसे कहाँ तक समझ पाया........एक बहुत ही खूबसूरत रचना mam

वेद प्रकाश सिंह said...

excellent mam........कविताये तो शब्दों से बनती है,हर शब्द का अपना-अपना महत्व है!कविताये कभी छोटी नहीं होती है,यह अपने अन्दर एक बहुत ही बड़ी बात छुपाये रहती है...यह उस कविता के पढने वाले पर निर्भर करता है की वो इसे कहाँ तक समझ पाया........एक बहुत ही खूबसूरत रचना mam

!!अक्षय-मन!! said...

वाह! बहुत सुन्दर लिखा है ये छोटी तो हैं किन्तु बहुत उच्च विचार वाली लगती हैं

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर.......वाह!

डाॅ रामजी गिरि said...

कौन से थे वो बिंदु जिसमें,
उलझ कर मन रह गया,
एक पिपासित चातक बनकर,
शब्दो मे क्यूँ बह गया,"

****"बहुत कुछ कहने को था, बहुत कुछ सुन ने को,पर बहुत देर हो गयी थी;और अब सब शब्द जमीं में गद गए the"--अमृता प्रीतम की जुबानी शब्दों की एक ये भी कहानी है*****

Akhilesh Soni said...

aapki choti kavitaon ne to badi kavitaon ko peeche chod diya. bahut hi pyari si, bahut hi achhi si, choti si kavitayen. accha laga.

Smart Indian said...

बहुत सुंदर!

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah..Wah...
सुंदर भाव बोध..
आपके ब्लाग पर आकर प्रसन्नता हुई...

कुश said...

bahut hi sundar.. kam shabdo mein bahut ghahri baat.. bahut badhai..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अच्‍छी क्षणिकाऍं हैं, बधाई।

बाल भवन जबलपुर said...

शब्द - अर्थ में खोकर अंतर,
अब कैसा पगलाया सा,
जाने क्या कहना चाहे,
ना जाने क्या अर्थ कह गया||
Superb

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut sundar bhav...