Wednesday, April 23, 2014

शमशान का सन्नाटा ....... गीता पंडित




कहो तो ______
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होने में न होना 
तुम्हारा 
न होने में होना 
विकलांग नहीं बनाता समय को 

किन्तु  
पंगु बना देता है 
प्रेम के उस समंदर को 
जिसमें सुनामी आती है बिना बताये 
और बहा ले जाती है अपने साथ 
महकते 
चहकते 
बाग़-बगीचे 
हरियाली के बिछे गलीचे 
सारे महल-दुमहले

जीवन के काँधे पर 
लद जाती हैं जीवित लाशें 
शमशान का सन्नाटा 
बदबूदार हवाएं 

अवरुद्ध कर देती हैं साँस  लेने के रास्ते 


किसको भायेगा 
कहो तो
......... 



गीता पंडित 
4 / 12 / 13

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