Friday, April 11, 2014

मैं स्त्री थी ......गीता पंडित

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मैं स्त्री थी 
बाँट दी गई 
माँ बहन बेटी पत्नी में. 

देवी कहकर 
अपमानित किया 
देवदासी कहकर 
अपने भोग की वस्तु बनाया. 

बलात्कार कर 
हत्या की मेरे अस्तित्व की 
वैश्या तुम्हारा दिया नाम है 
परित्यक्ता नाम भी 

तुम्हारी ही देन

आह !!!!!
नहीं दे पाये तो बस एक नाम
' सहचरी ' 
क्या मैंने बहुत ज़्यादा चाहा था ? ?
...........


गीता पंडित

11/4/14

1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

सुंदर अभिव्यक्ति और एक सच ।