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मत करो अवसाद
मत होना दुःखी
भर गया है जो निर्वात रोम -रोम में
उसमें भर जाने दो कविता
ताकि हँस सके पोर-पोर
खिलखिला सके समय
और गा उठे जीवन
क्योंकि यह गीत ही अंतिम लक्ष्य है श्वासों का
मृत्यु से पहले
मत करो अवसाद
मत होना दुःखी
भर गया है जो निर्वात रोम -रोम में
उसमें भर जाने दो कविता
ताकि हँस सके पोर-पोर
खिलखिला सके समय
और गा उठे जीवन
क्योंकि यह गीत ही अंतिम लक्ष्य है श्वासों का
मृत्यु से पहले
गीता पंडित
३/२१/१८
विश्व कविता दिवस की सभी मित्रों को शुभकामनाएं
३/२१/१८
विश्व कविता दिवस की सभी मित्रों को शुभकामनाएं
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