प्रेम -
कोख धरती के सुनहरे
बीज सारे रोप आई
प्रेम की लोरी के पीछे
बीज सारे रोप आई
प्रेम की लोरी के पीछे
चीख़ ना दे अब सुनाई
पेड़ चन्दन की बनी अब
भी खड़ी हूँ मैं वहीं
देह की हर चेतना तो
खो गयी कैसे कहीं
प्रेम पथ पर तुम मिलोगे है अभी मुझको यकीं
गीता पंडित
14 फरवरी 2018
पेड़ चन्दन की बनी अब
भी खड़ी हूँ मैं वहीं
देह की हर चेतना तो
खो गयी कैसे कहीं
प्रेम पथ पर तुम मिलोगे है अभी मुझको यकीं
गीता पंडित
14 फरवरी 2018
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