Wednesday, February 14, 2018

प्रेम पथ पर -- गीता पंडित

प्रेम -

कोख धरती के सुनहरे
बीज सारे रोप आई
प्रेम की लोरी के पीछे
चीख़ ना दे अब सुनाई

पेड़ चन्दन की बनी अब
भी खड़ी हूँ मैं वहीं
देह की हर चेतना तो
खो गयी कैसे कहीं

प्रेम पथ पर तुम मिलोगे है अभी मुझको यकीं


गीता पंडित
14 फरवरी 2018

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