Saturday, July 23, 2016

एक गीत .. साँसों में धीरे से कोई ... गीता पंडित


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साँसों में धीरे से कोई _____

 

 
विगत हुई
लो भोर दुपहरी
दीप साँझ का जल आया
साँसों में
धीरे से कोई
फिर से साथ चला आया |

 
यमन राग
के सुर आलापे
फिर से देखो रात चली
अंतर की
घाटी में देखो
फिर से उसकी बात चली
 

सुगबुग करती
मन सरगम को
लय में कौन ढला लाया

 
साँसों  में
धीरे से कोई

फिर से साथ चला आया
 
 
लगी सभाएं
तारों के संग
दूर गगन में चन्द्र दिखा
चप्पे – चप्पे
चली चंद्रिका
पग-पग पर था प्रेम लिखा
 
बुझती बाती
से लो दीपक
फिर से कौन जला लाया
साँसों  में
धीरे से कोई
फिर से साथ चला आया
 
- गीता पंडित
7/24/2016
 
 
 
 
 

 

 

 

 

 

 
 

 

 

 

 

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