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यादों की
गठरी में देखो
कौन बंधा आया,
उत्सव के
गलियारे में फिर
मनवा भरमाया |
चूड़ी पायल, टिकली लेकर
धनिया हर्षायी,
नया घाघरा चोली लेकर
मुनिया घर आयी,
देख रही दर्पण में मुखडा
नयना भीग गये,
पी परदेसी कैसे पायल
बिछुआ रीत गये,
अंखियों के
कोटर में फिर से
साजन संग लाया
कौन बंधा आया |
कल ही की थी
बात बना
विस्फोटक पल दहला,
बाजारों में
फिर से रौनक
जन मानस बहला,
पर जेबों पर
भारी पड़ती
बाजारों की बातें.
मन की इच्छाओं
को कैसे
रहीं दबातीं घातें,
फीकी -फीकी
मुस्कानों पर
भारी पड़ आया
कौन बंधा आया ||
गीता पंडित
11/11/11
16 comments:
गीता दीदी आज तो हम ही बंधे आ गए हैं, आपका ब्लॉग आज पहली बार देखा, बहुत सुन्दर है..
शुभकामनायों के साथ ..
फेसबुक कमेंट्स..
Dhanpat Swami ati sundar....bs ..kya kahun......aanand aaya..
Ashutosh Mishra
बहुत बढ़िया....
Kavi Anil Carpenter
गीता मेम
गजब का लिखा है ।
बधाई ।
Rituparna Mudra Rakshasa
Geeta ji...bahut sundar geet!!!
Dinesh Joshi
बहुत खूब गीता जी...बधाई !
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
ऊषा की किरणों संग देखो .. भाव बंधा आया .. गीत तुम्हारे सुनने मैं भी विहगों संग आया .. .. अद्भुत गीता जी .. बधाई सवेरे सवेरे मन प्रसन्न हो गया।
Prem Lata Just beautiful.......badhyee Gita Ji.
Dhananjay Singh
सुन्दर रचना.......
Rajendra Sharma
शिल्प और संवेदना, दोंनो सुंदर...। बधाई और शुभकामनाएं॥
वंदना शर्मा
पर जेबों पर भारी पड़ती बाजारों की बातें....बहुत कुछ है इन पंक्तियों में बधाई गीता जी ..
Misir Arun बाजारों की बातें.
मन की इच्छाओं
को कैसे
रहीं दबातीं घातें,
फीकी -फीकी
मुस्कानों पर
भारी पड़ आया
कौन बंधा आया |.................बहुत सुन्दर ! जीवन की डोर से बंधे चले आते हैं ......................................इन बाजारों में !
Hema Dixit
उत्सव के ..गलियारे में फिर .. मनवा भरमाया ......... मन की इच्छाओं.. को कैसे .. रही दबाती घाते.. उत्सव तो जैसे बस बहाने भर है हकीकतो के बीच जी बहलाने को ,बहुत सही शब्दों में उकेरा है ...
Anju Sharma
यादों की
गठरी में देखो
कौन बंधा आया,
उत्सव के
गलियारे में फिर
मनवा भरमाया | ..........बहुत सुंदर लिखा दी, मन प्रसन्न हो गया........
धर्मेन्द्र कुमार सिंह
अच्छा नवगीत है गीता जी, बधाई
धनिया की टिकली और रीते बिछुए बहुत कुछ कह जाते हैं - मिलन का उल्लास और विरह की वेदना ! अत्यंत सुंदर भावाभिव्यकित !
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