Friday, August 5, 2011

यूँ ही कुछ मन से ......गीता पंडित


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इन अंधेरों में भला क्या सोचना है अब मुझे
रोशनी हूँ रोशनी बन गुनगुनाती आऊँगी,
दीप है मेरा पता ये हाथ में मेरे लिखा है,
दीप की गाथा युगों तक ज्योति बनकर गाऊँगी|

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मैं वो ज्योति आंधियों में
भी अकेली जो जली हूँ,
नेह के आँगन की बेटी,
पीर में लेकिन पली हूँ |
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राम रहीम में रहे अलग क्या
सबमें वही समाया,
नेह के बंधन रहें सजीले
मन ने ये दोहराया |
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दो शेर ( गज़ल से )..


रोक लें उम्र को के जीना है अभी,
शेष रहा जो गरल पीना है अभी |

यूँ गुज़रती जा रही इस जिंदगी के ,
हर फटे आँचल को सीना है अभी |
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1)

ज़िंदगी में मोड तो आये कई लेकिन ना जाने
कौन सा वो मोड था कि मैं कहाँ पर रुक गया,
रात की सुनसान नगरी, चाँदनी, बेकल पवन
कह रहीं क्या जाने यूँ सर कहाँ पर झुक गया |
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2)

किरण की पालकी लेकर नया दिन फिर से आया है
लो जागें आज फिर से हम दिनकर मुस्कराया है,
समय की डोर से बंध कर,करें पूरा हरेक सपना,
जिसे देखा था कल हमने समय फिर आज गाया है|
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गीता पंडित







7 comments:

pawan mishra said...

vry nice lines Gita ji... gud keep it up.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

"इन अंधेरों में भला क्या सोचना है अब मुझे
रोशनी हूँ रोशनी बन गुनगुनाती आऊँगी,
दीप है मेरा पता ये हाथ में मेरे लिखा है,
दीप की गाथा युगों तक ज्योति बनकर गाऊँगी"

गीता दी, इन पंक्तियों ने भाव विभोर कर दिया
सादर...

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया...

Rachana said...

यूँ गुज़रती जा रही इस जिंदगी के ,
हर फटे आँचल को सीना है अभी |
sunder
नेह के आँगन की बेटी,
पीर में लेकिन पली हूँ |
kya bhav hai
रात की सुनसान नगरी, चाँदनी, बेकल पवन
कह रहीं क्या जाने यूँ सर कहाँ पर झुक गया |
.....uf kamal ki abhivyakti
saader
rachana

आनन्द विश्वास said...

ગીતા બેન,
તમારી ગજલ બહુ સારી છે
અને એના થી હું બહુ પ્રભાવિત
થયા છું.બહુ સારી ગજલ.
સાધુવાદ.
આનંદ વિશ્વાસ.

Sawai Singh Rajpurohit said...

मैं वो ज्योति आंधियों में
भी अकेली जो जली हूँ,
नेह के आँगन की बेटी,
पीर में लेकिन पली हूँ |

बहुत सुंदर रचना

ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है!
आप से निवेदन है इस लेख पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे!

तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा

हरकीरत ' हीर' said...

"इन अंधेरों में भला क्या सोचना है अब मुझे
रोशनी हूँ रोशनी बन गुनगुनाती आऊँगी,
दीप है मेरा पता ये हाथ में मेरे लिखा है,
दीप की गाथा युगों तक ज्योति बनकर गाऊँगी"


बहुत खूब .....!!