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देश की झण्डा शान दोस्तों
और हमारी आन है,
रखें इसका मान दोस्तों
इसी में अपना मान है ।
प्रेम अहिंसा के नारों से
देश नहीं चल सकता है,
कर्म वचन से इसे निभायें
देश तभी बच सकता है ।
जन्म मिला ये कर्म ना अपना
जीवन ना मजबूरी हो,
दया, नेह, श्र्द्दा हो संग में
मन में ना अब दूरी हो ।
अविराम चलें औ अथक चलें
अंतर विश्वास संभालें हम,
आशा के धागों में मोती
पल के पिरोकर डालें हम ।
भूखे पेट ना सोये कोई
अन्न वस्त्र और काम मिले,
प्रीत ना रोये किसी साँझ भी
मन को मन का राम मिले ।
प्रण कर लें अब द्वेष घृणा को
मन में ना आने देंगे,
स्बयं सहायक पथ होंगे हर
वर्ष तिरंगा फहरायेंगे । ।
गीता पंडित (शमा)
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देश की झण्डा शान दोस्तों
और हमारी आन है,
रखें इसका मान दोस्तों
इसी में अपना मान है ।
प्रेम अहिंसा के नारों से
देश नहीं चल सकता है,
कर्म वचन से इसे निभायें
देश तभी बच सकता है ।
जन्म मिला ये कर्म ना अपना
जीवन ना मजबूरी हो,
दया, नेह, श्र्द्दा हो संग में
मन में ना अब दूरी हो ।
अविराम चलें औ अथक चलें
अंतर विश्वास संभालें हम,
आशा के धागों में मोती
पल के पिरोकर डालें हम ।
भूखे पेट ना सोये कोई
अन्न वस्त्र और काम मिले,
प्रीत ना रोये किसी साँझ भी
मन को मन का राम मिले ।
प्रण कर लें अब द्वेष घृणा को
मन में ना आने देंगे,
स्बयं सहायक पथ होंगे हर
वर्ष तिरंगा फहरायेंगे । ।
गीता पंडित (शमा)
4 comments:
"SWATANTRATA DIWAS HI HARDIK SHUBHKAMNAYEN"
Bahut achchi kavita likhi hey aapne !
हौसलाआफ़जाई के लिये शुक्रिया शमा जी. उम्मीद है आगे भी स्नेह मिलता रहेगा.
तिरंगे की शान मे लिखी गयी यह रचना अद्भुत है.
तिरंगे को सोल्लास हर वर्ष फहराने की उद्दाम लालसा लिवे आपका गौरव गीत आत्म बल को तो बढ़ाता है ही , साथ ही, अविराम और अथक चलते रहने की प्रेरणा भी देता है।
साथ चलें और और स-सम्मान चलें ,चलते रहें--यही कामना ।
बहुत ही ओज है इस कविता में,क्या इसे मैं किसी पत्रिका के लिए भेज सकती हूँ?मैं इन भावों को उकेर नहीं सकी,जो आपने लिख दिया....बहुत ही बढिया
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