Wednesday, May 29, 2019

एक ग़ज़ल -गीता पंडित

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नारों में खो गयी अदा है
जिस पर सारा देश फिदा है

कौन किसे कब समझ सका है
अपनी ही बस एक सदा है 

रातों को दिन कहने वाले
कैसी तेरी अजब अदा है

ढूंढें से भी मिले नहीं जो
रखता कैसी बता गदा है

'गीता' कहती सच्ची बातें
गीता में मन रहा सदा है || 


  

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