लोकतंत्र दुख पाता है -
फिर संसद ने टेर लगाई
समय खड़ा मुसकाता है
समय खड़ा मुसकाता है
लगा सभा हर मंच दहाड़ा
सेहरा बाँधे हँसे चुनाव
झूठ पहनकर चोगा व्हाइट
सच बेचारा रहा फँसाव
सेहरा बाँधे हँसे चुनाव
झूठ पहनकर चोगा व्हाइट
सच बेचारा रहा फँसाव
बग़लें झाँके वोट यहाँ अब
लोकतंत्र दुख पाता है
लोकतंत्र दुख पाता है
हर चौराहा इशतहार बन
रोक रहा जन मन के पाँव
कुर्सी दल बल बनकर देखो
लगा रही है शकुनी दॉव
रोक रहा जन मन के पाँव
कुर्सी दल बल बनकर देखो
लगा रही है शकुनी दॉव
सुबहा खड़ी अपलक निहारे
दिनकर रोता आता है।
दिनकर रोता आता है।
गीता पंडित
7 मई 2019
1 comment:
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