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दीवानों सी हालत है
लानत और मलानत है
धर्म की बातें करता है
धर्म कहाँ कब जानत है
इक रोटी की खातिर ही
मेहनत औ महारत है
बादल कब तक रूठोगे
धरती रोज़ मनावत है
'गीता'किसकी बात करे अपने पर ही लानत है
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गीता पंडित
७/७/१४
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दीवानों सी हालत है
लानत और मलानत है
धर्म की बातें करता है
धर्म कहाँ कब जानत है
इक रोटी की खातिर ही
मेहनत औ महारत है
बादल कब तक रूठोगे
धरती रोज़ मनावत है
'गीता'किसकी बात करे अपने पर ही लानत है
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गीता पंडित
७/७/१४
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