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बढ़े आ रहे हैं ___
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बढ़े आ रहे हैं ___
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नहीं
अंकुरित है
ये दिल की ज़मीं,
पर
अंकुर ये शब्दों में उपजा रहे हैं
रुका
जो समय तो
ये जग भी रुका,
पर
बने कारवाँ हम बढ़े आ रहे हैं ।
… गीता पंडित
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