.....
......
हिन्दी है बिंदी माथे की
सजती हरेक वेष में,
प्रेम का संदेश सिखाती
हर जाति हर देश में,
देश काल से इसे ना बांधो
सारे जग पर राज करे,
ममता की गाकर लोरी
हर मन में विश्राम करे ॥
हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई...
गीता पंडित (शमा)
भाव तुम्हारे तुम्हें समर्पित, अंतर्मन के धारे हैं, गीतों में भरकर जो आये मन के वेद उचारे हैं||
Monday, September 14, 2009
Friday, August 14, 2009
हर वर्ष तिरंगा फहरायेंगे .....
.......
.........
देश की झण्डा शान दोस्तों
और हमारी आन है,
रखें इसका मान दोस्तों
इसी में अपना मान है ।
प्रेम अहिंसा के नारों से
देश नहीं चल सकता है,
कर्म वचन से इसे निभायें
देश तभी बच सकता है ।
जन्म मिला ये कर्म ना अपना
जीवन ना मजबूरी हो,
दया, नेह, श्र्द्दा हो संग में
मन में ना अब दूरी हो ।
अविराम चलें औ अथक चलें
अंतर विश्वास संभालें हम,
आशा के धागों में मोती
पल के पिरोकर डालें हम ।
भूखे पेट ना सोये कोई
अन्न वस्त्र और काम मिले,
प्रीत ना रोये किसी साँझ भी
मन को मन का राम मिले ।
प्रण कर लें अब द्वेष घृणा को
मन में ना आने देंगे,
स्बयं सहायक पथ होंगे हर
वर्ष तिरंगा फहरायेंगे । ।
गीता पंडित (शमा)
.........
देश की झण्डा शान दोस्तों
और हमारी आन है,
रखें इसका मान दोस्तों
इसी में अपना मान है ।
प्रेम अहिंसा के नारों से
देश नहीं चल सकता है,
कर्म वचन से इसे निभायें
देश तभी बच सकता है ।
जन्म मिला ये कर्म ना अपना
जीवन ना मजबूरी हो,
दया, नेह, श्र्द्दा हो संग में
मन में ना अब दूरी हो ।
अविराम चलें औ अथक चलें
अंतर विश्वास संभालें हम,
आशा के धागों में मोती
पल के पिरोकर डालें हम ।
भूखे पेट ना सोये कोई
अन्न वस्त्र और काम मिले,
प्रीत ना रोये किसी साँझ भी
मन को मन का राम मिले ।
प्रण कर लें अब द्वेष घृणा को
मन में ना आने देंगे,
स्बयं सहायक पथ होंगे हर
वर्ष तिरंगा फहरायेंगे । ।
गीता पंडित (शमा)
Wednesday, August 12, 2009
नमन तुमको मधुसुदन...
एक मुक्तक
_________
" कृष्ण नाम है प्रेम का और
ममता का है नाम कन्हैय्या
बिन स्नेह के जीवन क्या है
हरेक में है श्याम कन्हैय्या ।"
अधूरा गान
_______________
.....
.......
मैं अधूरा गान तुम बिन
शब्द हो तुम शब्द में भी
मात्रा और वर्ण, बिंदू,
और अंतर में चहकते
कल्पना के सहत्र सिंधू,
नमन तुमको मधुसुदन
मैं अधूरा गान तुम बिन ।
रूप की तुम एक शाला
गंध की हरेक माला,
रंग सजते हैं तुम्हीं में
रंग की एक पाठशाला,
तुम रस की खान "मोहन",
मैं अधूरा गान तुम बिन ।।
गीता पंडित (शमा)
_________
" कृष्ण नाम है प्रेम का और
ममता का है नाम कन्हैय्या
बिन स्नेह के जीवन क्या है
हरेक में है श्याम कन्हैय्या ।"
अधूरा गान
_______________
.....
.......
मैं अधूरा गान तुम बिन
शब्द हो तुम शब्द में भी
मात्रा और वर्ण, बिंदू,
और अंतर में चहकते
कल्पना के सहत्र सिंधू,
नमन तुमको मधुसुदन
मैं अधूरा गान तुम बिन ।
रूप की तुम एक शाला
गंध की हरेक माला,
रंग सजते हैं तुम्हीं में
रंग की एक पाठशाला,
तुम रस की खान "मोहन",
मैं अधूरा गान तुम बिन ।।
गीता पंडित (शमा)
Subscribe to:
Posts (Atom)