.......
.......
निशा को कर विदा हँसकर...,
रश्मि रथ पर निकला दिनकर.,
स्वर्णिम आभा सुन्दर अम्बर..,
कर्णा-भिराम विहग कलरव...,
पल्लव पर मोती ओस के कण,
मन को मोहते सुगन्धित सुमन,
भीनी-भीनी बासन्ती बयार...,
कान्धे पर गोरी के जल गागर.,
भारी बस्ते, बोझिल बचपन..,
अन्गडाई लेता चन्चल यौवन..,
माथे पर सिन्दूरी टीका.....,,
प्यारा आन्गन, प्यारा साजन..
आचमन करता कोई तन.....,
पूजा मेँ मग्न कोई मन......,
तुलसी को देता कोई जल ....,
मन्दिर की घन्ट ध्वनि घन-घन.
शमा (गीता)
2 comments:
सूर्योदय का बहुत ही मनोरम चित्रण
मन खिल उठा
धन्यवाद गीता जी
सस्नेह
गौरव
आचमन करता कोई तन.....,
पूजा मेँ मग्न कोई मन......,
तुलसी को देता कोई जल ....,
मन्दिर की घन्ट ध्वनि घन-घन.
lagta hai jaise kishi muni-asram mein baitha hua hoon aur prabhat darshan ho rahe hain
SACH HI ITNI SAATWIK ANUBHOOTI hai
ki kya kehne.
aur likhen.
Post a Comment