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टहनी मुस्कराई
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धूप पहनी है कि
टहनी मुस्कराई
और चेहरों पर
सुमन के गुनगुनाई
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टहनी मुस्कराई
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धूप पहनी है कि
टहनी मुस्कराई
और चेहरों पर
सुमन के गुनगुनाई
हैं लगे
पंछी चहकने
मन लगे
अब तो बहकने
देख आँगन में
चिरैय्या चहचहाई
धूप पहनी है कि टहनी मुस्कराई
आँख ने
सपने सजाये
पाँव भी
गति आप पाये
फिर सुबह की
पाँखुरी पर ओस आई
धूप पहनी है कि टहनी मुस्कराई ||
गीता पंडित
5/27/2018
पंछी चहकने
मन लगे
अब तो बहकने
देख आँगन में
चिरैय्या चहचहाई
धूप पहनी है कि टहनी मुस्कराई
आँख ने
सपने सजाये
पाँव भी
गति आप पाये
फिर सुबह की
पाँखुरी पर ओस आई
धूप पहनी है कि टहनी मुस्कराई ||
गीता पंडित
5/27/2018