Thursday, March 22, 2018

मत करो अवसाद ..गीता पंडित

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मत करो अवसाद
मत होना दुःखी

भर गया है जो निर्वात रोम -रोम में
उसमें भर जाने दो कविता

ताकि हँस सके पोर-पोर
खिलखिला सके समय
और गा उठे जीवन 


क्योंकि यह गीत ही अंतिम लक्ष्य है श्वासों का
मृत्यु से पहले



गीता पंडित
३/२१/१८

विश्व कविता दिवस की सभी मित्रों को शुभकामनाएं