Sunday, June 21, 2015

पिता होते हैं बरगद ..... गीता पंडित


.....

पिता होते हैं
बरगद की वो फुनगी 
जिस पर बैठकर चिड़िया
कूकती है
पिता का चले जाना
कूक का खो जाना होता है

प्रेम का विलाप
ढोते हुए समय के काँधे
झुकते चले जाते हैं
और रुक जाता है मन
वहीं कहीं
आस-पास
जहां थे पिता
ढूँढता हुआ वो उँगली
जो खो जाती है
पिता के खोने से
......


गीता पंडित
22/6/15

4 comments:

mridula pradhan said...

बहुत अच्छा लिखी हैं ……

Navneet Sharma said...

फेसबुक वॉल पर पंक्तियां ऐसी थी कि यहां तक आना ही पड़ा।
और आकर पाया कि
मैं यूं ही नहीं आया।
गीता जी जब भी लिखती हैं,
लगता है हमारे समय को लिख रही हैं
हमारे दुखों को लिख रही हैं
और हमें लिख रही हैं।
बहुत आभार इस रचना के लिए। हार्दिक बधाई।

गीता पंडित said...

फेसबुक के कमेंट्स इस कविता पर ...


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Tiwari Keshav, Navneet Sharma, Manoj Madhukar and 125 others like this.
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Promilla Qazi Marmik......

Unlike · Reply · 1 · June 22 at 2:45pm
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Rama Shanker Tripathi well & true said.

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 2:46pm
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Rupa Singh Are waah.

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 2:57pm
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Subodh Kumar Wah! Sundr

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 3:39pm
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Anil Vashisth मर्म है बेटी /बेटे के दिल का

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 4:17pm
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Gita Dev Mramsparshi panktiyan

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 5:18pm
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Sharad Upadhyay बहुत सुंदर

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 9:26pm
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Manju Sharma Mahapatra मार्मिक। रुला दिया।

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 9:47pm
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Rachna Aabha मार्मिक .......

Unlike · Reply · 3 · June 22 at 9:59pm
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Tri Vikrama · Friends with Manish Pandey
दार्शनिक एवं भावपूर्ण

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 10:02pm
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Mridula Pradhan Bhawpoorn..

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 10:18pm
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Rashmi Chaturvedi बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 10:37pm
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Vijay Kishore Manav उंगली जो खो जाती है.…

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 10:58pm
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Ravi Pratap Singh सराहनीय पितृ-स्मृति काव्य |

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 10:58pm
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Santosh Purohit मार्मिक .......

Unlike · Reply · 2 · June 22 at 11:03pm
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Avinash Bagde वो उँगली
जो खो जाती है
पिता के खोने से.... सुंदर अभिव्यक्ति....

Unlike · Reply · 3 · June 22 at 11:15pm
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Ashwini Kumar Vishnu भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

Unlike · Reply · 1 · June 23 at 6:12am
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गीता पंडित ह्रदय से आभार आप सभी के स्नेह के लिए .. smile emoticon smile emoticon

Like · Reply · June 24 at 10:10am
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Navneet Sharma फेसबुक वॉल पर पंक्तियां ऐसी थी कि ब्‍लॉग तक जाना ही पड़ा
और आकर पाया कि
मैं यूं ही नहीं आया।
गीता जी जब भी लिखती हैं,
लगता है हमारे समय को लिख रही हैं
हमारे दुखों को लिख रही हैं
और हमें लिख्‍ख रही हैं।
बहुत आभार इस रचना के लिए। हार्दिक बधाई।

Like · Reply · June 24 at 5:04pm
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Pradeep Kumar Agrawal English rendering of the Geetaji 's above poem

Dad's open arm
Like a banyan branch
Where a sparrow perches to freely
Coos!

Having lost the father
Is like a voice lost in air!

A freak voice of love
Lowers down the shoulders of Time Skeleton
Struts
Wanders
Stops breathlessly
Here and near
the foot-prints
Of my father

Pinching
the finger
Where my dad
Stood last !

Like · Reply · 2 · 9 hrs · Edited


गीता पंडित said...

इसी कविता की दूसरी फेसबुक पोस्ट पर कमेंट्स ..


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श्रीकान्त मिश्र 'कान्त', Avinash Bagde, Neeraj Daiya and 50 others like this.
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सुभाष काबरा पिता को कोसने वाले दौर में आपकी ये पंक्तियां बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण हैं।

Like · Reply · June 22 at 10:29am
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गीता पंडित आभार ..

Like · 1 · June 24 at 10:11am
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DrAlka Singh सुभाष जी मेरा मानना है कि कोई भी पिता को नहीं कोसता पिता की भूमिका को कोसता है .................मसलन आलोचना करता है

Like · Reply · June 22 at 10:38am
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सुभाष काबरा जी अलका जी।इधर कुछ वृध्दाश्रमों में जाने का अवसर मिला।बेटे-बहू,बेटी-दामादों वाले माता-पिता की स्थिति देखकर कष्ट हुआ।लगा कि पिता की भूमिका तो वही है,बच्चों की बदल रही है।

Like · Reply · June 22 at 11:03am
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DrAlka Singh ऐसा नहीं है काबरा जी , पिता पुत्र और पुत्र्वधु सम्बन्धों में या बेटी दामाद सम्बन्धों में अकेले बेते बहू या बेती दामाद की ही भूओमिका गलत नहीं होती ...............पिता पुत्र सम्बन्धों में अक्सर पुत्र के माता पिता की भूमिका को ध्यान से दे ख चाहिये ..........See More

Like · Reply · June 22 at 11:09am
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Sudhakar Adeeb मार्मिक पंक्तियाँ

Like · Reply · 1 · June 22 at 9:55pm
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Prabuddha Tiwari Poet पिता के लिये वन्दनीय लाइनें
वाह

Like · Reply · June 24 at 11:33am
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Navneet Sharma फेसबुक वॉल पर पंक्तियां ऐसी थी कि यहां तक आना ही पड़ा।
और आकर पाया कि
मैं यूं ही नहीं आया।
गीता जी जब भी लिखती हैं,
लगता है हमारे समय को लिख रही हैं
हमारे दुखों को लिख रही हैं
और हमें लिख्‍ख रही हैं।
बहुत आभार इस रचना के लिए। हार्दिक बधाई।

Like · Reply · June 24 at 5:04pm