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नव वर्ष 2014 शुभ हो , मंगलकारी हो , आनंददायी हो ।
जन की, समाज की, देश की, विश्व की आँखों में सलौने स्वप्न हों ।
सभी को ढेरों बधाइयाँ एवं अशेष शुभ कामनाएं …… ( 1/1/2014 )
यह नवगीत आप सभी को समर्पित ____
अभी चीखता
साल गया है
कानों में है दर्द अभी
चलो करें कुछ ऐसा जिससे
स्वप्न पात हरियायें फिर
नयनों में हो प्रेम कजरिया
छुप-छुप के बतियायें फिर
हर घर में फिर उजियारा हो
हर द्वारे पर दीप जलें
आँख बने ना
सागर कोई
नदिया का ना नीर ढले
आँगन में
पसराई पीड़ा
अँखियों में है गर्द अभी
मुस्कानों की चिट्ठी फिर से
अधर-अधर को दे आएँ
फिर बसंत हर मन में झूले
गम सबके चल ले आएँ
छप्पर रोटी पुस्तक कपड़े
का हो कहीं अकाल नहीं
नव-वर्ष की
नव बेला में
कोई न हो बेहाल कहीं
आज सियासी
बेदर्दी से
तन-मन भी हैं ज़र्द अभी
-गीता पंडित
(दिल्ली)
http://navgeetkipathshala.blogspot.in/2013/12/blog-post_22.html#comment-form
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नव वर्ष 2014 शुभ हो , मंगलकारी हो , आनंददायी हो ।
जन की, समाज की, देश की, विश्व की आँखों में सलौने स्वप्न हों ।
सभी को ढेरों बधाइयाँ एवं अशेष शुभ कामनाएं …… ( 1/1/2014 )
यह नवगीत आप सभी को समर्पित ____
अभी चीखता साल गया है ____
अभी चीखता
साल गया है
कानों में है दर्द अभी
चलो करें कुछ ऐसा जिससे
स्वप्न पात हरियायें फिर
नयनों में हो प्रेम कजरिया
छुप-छुप के बतियायें फिर
हर घर में फिर उजियारा हो
हर द्वारे पर दीप जलें
आँख बने ना
सागर कोई
नदिया का ना नीर ढले
आँगन में
पसराई पीड़ा
अँखियों में है गर्द अभी
मुस्कानों की चिट्ठी फिर से
अधर-अधर को दे आएँ
फिर बसंत हर मन में झूले
गम सबके चल ले आएँ
छप्पर रोटी पुस्तक कपड़े
का हो कहीं अकाल नहीं
नव-वर्ष की
नव बेला में
कोई न हो बेहाल कहीं
आज सियासी
बेदर्दी से
तन-मन भी हैं ज़र्द अभी
-गीता पंडित
(दिल्ली)
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