.....
.......
क्या
कहें ?
.......
पूछा
आपने कैसे हो ?
कहें
के क्रोधित हैं
कहें
के पीड़ित हैं
कहें
के आँख सूखती नहीं
कहें
के
धधक रहा है ज्वालामुखी भीतर
कहें
के
अंत चाहिए इस पैशाचिकता का
कहें
के
करेंगे एक नयी धरती का निर्माण
जहाँ
हम
हमारे होने का अर्थ भोग सकें
और
कह सकें
गर्व से
के
हम मनुष्य हैं
.......
गीता पंडित
२१ मार्च २०१३
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