Tuesday, May 8, 2012

एक मुक्तक .... खो गये हैं पथ .... गीता पंडित



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खो  गये  हैं  पथ  वो  सारे  जो  बने  मेरे लियें थे

आज बढ़ते  पाँव मेरे जाने किस मंजिल की और

वो सुबह भी आयेगी जब हर किरण नर्तन करेगी

मन के सावन में मचल उठेगी फिर से वो ही भोर .



.... गीता पंडित

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