Sunday, June 21, 2015

पिता होते हैं बरगद ..... गीता पंडित


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पिता होते हैं
बरगद की वो फुनगी 
जिस पर बैठकर चिड़िया
कूकती है
पिता का चले जाना
कूक का खो जाना होता है

प्रेम का विलाप
ढोते हुए समय के काँधे
झुकते चले जाते हैं
और रुक जाता है मन
वहीं कहीं
आस-पास
जहां थे पिता
ढूँढता हुआ वो उँगली
जो खो जाती है
पिता के खोने से
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गीता पंडित
22/6/15