Thursday, May 29, 2014

ये भ्रम है या कोई सपना .... गीता पंडित

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ये भ्रम है या कोई सपना ____


सबका इतना मिला स्नेह कि
आँसू छलक गये

सदियों से थी रही पिपासित
नदिया बड़ी अकेली
यहाँ मिल गये साथी संगी
कितनी मिली सहेली

प्रेम निधि है सबसे प्यारी
आँसू पलक गये

ये भ्रम है या कोई सपना
चाहे जो भी हो
पल भर की जो खुशी मिली है
उनको गह भी लो

बातें करते - करते देखो
आँसू ढलक गये 
.......



गीता पंडित