Wednesday, March 23, 2011

नत है मस्तक...






देकर के बलिदान तुम्ही ने, माँ का शीश उठाया है,
देश प्रेम का पाठ तुम्ही ने, हमको आज पढ़ाया है,
नमन तुम्हें ए वीर जवानों तुम सपूत भारत माँ के,
तुम्हें याद करके देखो अखियों में बादल छाया है||


... गीता पंडित...

6 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ हैं गीताजी..... ऐसे देशभक्त वीर सपूतों को नमन.....

गीता पंडित said...

आभार...आपका....

मोनिका जी......


हमने तो बस शीश झुकाया
उसने सर कटवाया है,
मेरे देश का झंडा देखो
उनसे ही फहराया है |

...गीता पंडित.

केवल राम said...

बहुत सुंदर और देश भक्तों को समर्पित रचना के लिए आपका आभार

केवल राम said...

कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

Dinesh pareek said...

बहुत ही सुन्दर कहा अपने बहुत सी अच्छे लगे आपके विचार
फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुंदर और देशभक्ति से ओतप्रोत पक्तियां गीता जी बधाई |